गुरुवार

ज़रा सा नहीं सही समझे ज़िन्दगी में, 8 का सार के पहाड़े की बहुत एहमियत होती है !

 इसे ज़रूर पढ़िए और समझिए सोचिए 
8 x 01 = 08   ...बचपन
8 × 02 = 16   ...जवानी की शुरुआत
8 × 03 = 24   ...शादी की उम्र
8 × 04 = 32   ...बच्चों की ज़िम्मेदारी होना
8 × 05 = 40   ...खुशहाल परिवार
8 × 06 = 48   ...साँसारिक ज़िम्मेदारी और 
                स्वास्थ्य के बिगड़ने की शुरुआत
8 × 07 = 56   ...बुढ़ापे की शुरुआत, 
                रिटायरमेन्ट की तैयारी और 
                वसीयत लिख डालने का समय
8 × 08 = 64   ...रिटायरमेन्ट के बाद कम से कम
                तनाव में रहने का प्रयास और
                सेहत का ख्याल रखना
8 × 09 = 72   ...रोग और स्वास्थ्य सम्बन्धी 
                तकलीफों से सामना, 
                खुद को ज़्यादा से ज़्यादा 
                खुश रखने का प्रयास
8 × 10 = 80   ...पिछले 80 सालों मे जिन मित्रों और सहयोगियों और रिश्तेदारों ने आपका सुख दुःख में भी नहीं छोड़ा, उनके साथ हँसी खुशी जीवन बिताना

*कितना महत्वपूर्ण है 8 का पहाड़ा !**
*इसलिए हँसते रहें,* *हँसाते रहें, प्यार से रहें,*
*परिवार और दोस्तों के सङ्ग रहें !

मंगलवार

इन मंदिरों में आज ही जाइए, यह वर्तमान इतिहास बनने वाला है

मंदिर का इतिहास एक बहुत ही विशाल और विविध विषय है, जिसमें भारत के अनेक प्राचीन, प्रसिद्ध और पावन मंदिरों के बारे में जानना संभव है। मंदिरों का इतिहास में हमें मंदिरों के निर्माण, संरक्षण, पूजा-विधि, महत्व, कहानी, रहस्य, चमत्कार, संस्कृति, कला, वास्तु, समाज-धर्म, आस्था, भक्ति और अन्य पहलुओं के बारे में पता चलता है।

विशेष मंदिर जैसे सोमनाथ मंदिर, बद्रीनाथ मंदिर, सोमनाथ मंदिर, तिरुपति बालाजी मंदिर और करणी माता मंदिर के बारे में कुछ प्रमुख जानकारी नीचे लिखी है, 

सोमनाथ मंदिर
12 ज्योतिर्लिंगों में से पहला है, सौराष्ट्र में समुद्र के किनारे स्थित है, रीति-रिवाज के मुताबिक प्रति सोमवार को दर्शन अच्छे होते है, प्रलय के समय को सुरक्षा प्रदान करने की क्षमता रखते है। इसका निर्माण सोमराज (Chandradev) ने प्रसन्नता प्राप्ति के लिए कराया था, परन्तु 16वीं शताब्दी ई. में महमूद गजनवी (गजनवी) ने 17 बार मंदिर को लूटा और नष्ट कर दिया।

बद्रीनाथ मंदिर 
भारत के चार चार धाम तीर्थ स्थलों में से एक है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है और उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 8वीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने की थी। यह मंदिर समुद्र तल से 3,133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और बर्फ से ढके पहाड़ों से घिरा हुआ है। मंदिर अप्रैल से नवंबर तक छह महीने के लिए खुला रहता है और सर्दियों के दौरान कठोर मौसम की स्थिति के कारण बंद रहता है। यह मंदिर काले पत्थर से बनी भगवान विष्णु की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है, जिसे विष्णु के आठ स्वयंभू रूपों में से एक माना जाता है।

तिरुपति बालाजी मंदिर
भारत के सबसे अमीर और सबसे ज्यादा देखे जाने वाले मंदिरों में से एक है। यह भगवान विष्णु के एक रूप भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है, और आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी ईस्वी में पल्लव राजवंश द्वारा किया गया था। यह मंदिर वेंकटचला पहाड़ी पर स्थित है, जो शेषचलम पर्वतमाला का हिस्सा है। यह मंदिर अपने लड्डू प्रसादम के लिए प्रसिद्ध है, जिसे भक्तों को आशीर्वाद के रूप में दिया जाता है। यह मंदिर मुंडन की रस्म के लिए भी जाना जाता है, जहां भक्त भगवान के प्रति समर्पण के संकेत के रूप में अपना सिर मुंडवाते हैं।
करणी माता मंदिर
भारत का एक अनोखा और असामान्य मंदिर है। यह करणी माता, एक महिला ऋषि और देवी दुर्गा का अवतार, को समर्पित है और राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 20वीं सदी की शुरुआत में महाराजा गंगा सिंह ने कराया था। यह मंदिर अपने चूहों के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें पवित्र माना जाता है और करणी माता के वंशज के रूप में उनकी पूजा की जाती है। मंदिर में हजारों चूहे हैं, जो परिसर में खुलेआम घूमते हैं और भक्त उन्हें खाना खिलाते हैं। यह मंदिर अपने सफेद चूहों के लिए भी जाना जाता है, जिन्हें शुभ माना जाता है और माना जाता है कि जो लोग उन्हें देखते हैं उनकी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं ।


आप मुझसे किसी भी मंदिर के बारे में पूछ सकते हैं, मैं आपको उसका इतिहास बताने की कोशिश करूंगा।

क्या होता है संत या बाबा ? क्या सब कुछ छोड़ कर बाबा बन जाऊं ? क्या तैयारी करनी पड़ेगी ?

यह सब जानते हैं कि बाबा बनने का निर्णय लेना एक महत्वपूर्ण और जीवन बदल देने वाला कदम होता है। इससे पहले आपको ध्यानपूर्ण विचार करना चाहिए, सभी पहलुओं का विचार करना चाहिए, और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपका मानसिक और आर्थिक तैयारी पूरी है। बाबा बनने के फैसले को बड़े सावधानीपूर्वक और सोच-विचार करके लेना चाहिए।

अब बात आती है, संत बनूं या बाबा?
"संत" और "बाबा" दो भिन्न शब्द हैं और इनका अर्थ भाषा, संस्कृति और समाज के आधार पर बदल सकता है। यहां कुछ मुख्य भेदों को बताने की कोशिश की है:

1. शब्द का अर्थ: "संत" आमतौर पर एक आध्यात्मिक गुरु या धार्मिक आदर्श को सूचित करने के लिए उपयोग होता है, जबकि "बाबा" आमतौर पर परम पिता या आध्यात्मिक गुरु को सूचित करने के लिए उपयोग होता है।

2. आध्यात्मिक स्थान: संत आध्यात्मिक उन्नति के मार्गदर्शक और आदर्श माने जाते हैं, जबकि बाबा आध्यात्मिक बालकों के आध्यात्मिक पिता के रूप में पूजे जाते हैं।

3. सम्प्रदाय: "संत" शब्द आध्यात्मिक संप्रदायों के आध्यात्मिक गुरुओं को सूचित करने में आम होता है, जबकि "बाबा" शब्द खासतर संतमत सम्प्रदायों जैसे ब्रह्मकुमारी के प्रायः उपयोग किया जाता है।

4. व्यक्तिगत संबंध: "संत" एक आध्यात्मिक गुरु के साथ एक शिष्य का संबंध होता है, जबकि "बाबा" एक आध्यात्मिक पिता के साथ आध्यात्मिक बच्चों का संबंध होता है।

सारांश में, "संत" और "बाबा" के बीच आध्यात्मिक भाषा और संस्कृति के आधार पर भिन्नता हो सकता है, और इन शब्दों का अर्थ समाज और संप्रदाय के आधार पर बदल सकता है।
अब यदि इस संसार में, समाज में और इनकी अच्छी बुरी चीजों को देखना व सुधारना है, फ्री की एडवाइज देनी है तो बाबा बनो और अपने आप को महान बनाना है, जो शरण में आए उसका भला करना है तो संत बन जाओ।
बाबा बनने के फायदे और नुकसान निर्भर करते हैं। यह व्यक्ति के व्यक्तिगत प्राथमिकताओं, संविदानिक आवश्यकताओं और जीवन दृष्टिकोण पर निर्भर करेगा।
फायदे:
1. आध्यात्मिक आनंद: यह आध्यात्मिक सफलता और आंतरिक शांति का माध्यम हो सकता है।
2. सेवा: आपको दूसरों की सेवा करने का मौका मिलता है और उनकी मदद करने का साधु धर्म माना जाता है।
3. आध्यात्मिक शिक्षा: आप आध्यात्मिक ज्ञान और सद्गुणों की शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।
4. जीवन का सरलीकरण: बाबा बनने से आप जीवन को सरलीकरण करने का मौका प्राप्त कर सकते हैं।
5. समाज में मान्यता: समाज में आपको आदर्श और श्रद्धा के साथ देखा जा सकता है।

नुकसान:
1. सामाजिक प्रतिबंध: बाबा बनने से आपको सामाजिक प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है।
2. आर्थिक परिस्थितियाँ: आपकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ सकता है, क्योंकि आपको वित्तीय अद्यतन करने की कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
3. व्यक्तिगत जीवन की सीमाएँ: बाबा बनने से आपका व्यक्तिगत जीवन किसी मायके की तरह सीमित हो सकता है।
4. स्वाधीनता की खोज: बाबा बनने से पूरी तरह से स्वाधीनता की खोज में विफल हो सकते हैं, क्योंकि आपको बाबा बनने के बाद किसी आधिकारिक परिपत्र और नियमों का पालन करना पड़ सकता है।

इसलिए, बाबा बनने का निर्णय लेने से पहले आपको इन फायदों और नुकसानों को विचार करके सोचना होगा और यह निर्णय अपने व्यक्तिगत परिस्थितियों के आधार पर लेना होगा।
बाबा बनने के लिए तैयारी करने के लिए  क्या करें:

1. आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति: आध्यात्मिक ज्ञान का अध्ययन करें और आध्यात्मिक गुरुओं से सीखें।

2. आध्यात्मिक साधना: आध्यात्मिक साधना का अभ्यास करें, जैसे कि ध्यान, प्रार्थना, और मानना।

3. सेवा का आभास: दूसरों की सेवा करने का आभास करें और सेवा में लगे रहें।

4. आध्यात्मिक जीवनशैली: आध्यात्मिक जीवनशैली का पालन करें, जैसे कि सात्विक आहार और सत्य के प्रति प्रतिबद्ध रहना।

5. संगठन या सम्प्रदाय: किसी आध्यात्मिक संगठन या सम्प्रदाय का हिस्सा बनें जो बाबा बनने के लिए अधिक सहायक हो सकता है।

6. गुरु का मार्गदर्शन: किसी आध्यात्मिक गुरु के मार्गदर्शन और शिक्षा का अध्ययन करें और उनके मार्ग पर चलें।

7. स्वाध्याय: स्वयं का आत्ममूल्यांकन करें और आपके आध्यात्मिक यात्रा में सुधार करने के लिए स्वाध्याय करें।

8. सामाजिक परिपत्र और नियमों का पालन: बाबा बनने के सामाजिक परिपत्र और नियमों का पालन करें।

बाबा बनने के लिए तैयारी करने के लिए इन कदमों का अभ्यास करने से आप अपने आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ सकते हैं। ध्यान और समर्पण से इस मार्ग पर चलना महत्वपूर्ण होता है।